आखिर क्यों मनाई जाती है Shab-E-Qadr? इस्लाम में इस रात की अहमियत और दुआ…

Shab-E-Qadr: रमज़ान के आखिरी दिनों में Shab-E-Qadr की कई राते आती हैं, जिसका इस्लाम में काफी अहमियत है। कहा जाता है कि इस रात जो भी दुआएं मांगी जाती हैं, वो कबूल होती ही हैं। मगर क्या आपको पता है कि Shab-E-Qadr का असल मतलब क्या है?

इसमें कोई दो राय नहीं है कि इस्लाम धर्म में इस मुबारक Ramadan महीने को बहुत ही पाक और खास माना जाता है क्योंकि Ramadan महीने में हर मुस्लिम रोज़े रखता है, पांच वक्त की नमाज़ के साथ-साथ तरावीह भी पढ़ता है और अल्लाह की खूब इबादत करता है। रोज़ा रखने के साथ-साथ शब-ए-कद्र की रातों का भी काफी अहमियत है।

Shab-E-Qadr के दौरान पूरी रात अल्लाह की इबादत की जाती है और दिल से दुआ मांगी जाती है। कहा जाता है कि जो भी दुआएं मांगी जाती हैं, वो हमेशा कबूल होती हैं। मगर कई लोगों को इस बात का इल्म ही नहीं है कि आखिर शब-ए-कद्र क्या होता है और इस दौरान क्या करना होता है।

अगर आप भी इसी लिस्ट में शामिल हैं तो परेशान होने की कोई जरूरत नहीं है क्योंकि आज हम आपको बताएंगे कि शब-ए-कद्र किसे कहते हैं।

Shab-E-Qadr क्या है?

इस्लाम में शब-ए-कद्र बहुत ही पाक रातों में से एक मानी जाती है, जिसे लैलातुल कद्र के नाम से भी जाता है। इसे अंग्रेजी में Knight of Decree, night of power, Night of Value भी कहा जाता है। मुस्लिम ग्रंथ कुरान के अनुसार इस रात कुरान की आयतों को दुनिया पर जिब्रील नाम के फरिशते के जरिए आप मोहम्मद सल्लल्लाहो अलैहे वस्सलाम पर नाज़िल होना शुरू हुआ था।

Shab-E-Qadr की नमाज़ का तरीका

आप शब ए कद्र की रात 8 रिकात नफील नमाज अदा कर सकते हैं। इसका तरीका हर 2 रिकत के बाद सलाम फेरना होता है नॉर्मल नमाज़ की तरह होता है, लेकिन नियत हमारी नफील तहजूद नमाज़ की होती है। आखिर में  रिकत वित्तर  अदा की जाती है और फिर दवा मांगी जाती है अल्लाह सुबहनोताला से  उम्र में दराज़ी और अपने गुनाहों की माफी की दुआ भी मांगते हैं।

Shab-E-Qadr का अहमियत

रमज़ान के महीने में शब-ए-कद्र की रात आती है, जिसे हज़ार महीने की रात से बेहतर समझा जाता है। इस दौरान की जाने वाली हर इबादत का सत्तर गुना सवाब मिलता है। अगर सच्चे दिल से अपने गुनाह की माफी मांगी जाती है, तो अल्लाह माफ कर देता है।

इस दौरान तमाम मुस्लिम पूरी रात जागते हैं और अल्लाह की इबादत करते हैं। कुरान पढ़ते हैं, नफ्ल नमाज़ अदा करते हैं और सहरी खाकर रोजा रखकर अपनी इबादत पूरी करते हैं।

duwa

Shab-E-Qadr कब मनाया जाता है?

शब-ए-कद्र की रात रमज़ान के आखिरी के दस दिनों में आती है, जिसमें पांच ताक़ रातों को शामिल किया गया है जैसे- 21, 23, 25, 27, 29 की रात। कहा जाता है कि इन पांच ताक़ रातों में से किसी एक दिन शब-ए-कद्र की रात आती है, जिसकी कई निशानियां कुरान में बयान की कई हैं।

जिस दिन शब-ए-कद्र की रात होगी उस रात बहुत रोशनी होगी और आसमान चांद से चमक रहा होगा। इस रात न तो ज्यादा गर्मी और न ज्यादा ठंड होगी मतलब मौसम खुशनुमा होगा।

Shab-E-Qadr की दुआ

اللهم إني أَسْأَلُكَ العَفْوَ والعَافِيَةَ والمُعَافَاةَ في الدُنْيا والآخِرَة

Allhumma Inni Asaloka Al Afwa wal Afiyata , walmuafata fid-dunya wal akhira

O Allah I ask of you Wellbeing & forgiveness in this world & the hereafter

अल्लाहुम्मा इंनका अफुव्वुन तुहिब्बुल अफवा फ’अफु अन्नी

इसका मतलब होता है कि ए अल्लाह तू माफ करने वाला है और बेशक तू माफ करना पसंद करता है..हमारे तमाम गुनाह तो माफ फरमा।

Shab-E-Qadr में क्या पढ़ना चाहिए?

शब-ए-कद्र की रात इबादत करने का तरीका अलग-अलग होता है। मगर इस रात कुरान शरीफ की तिलावत, नफ्ल नमाज़ (सालातुलतस्बीह, तहज्जुद की नमाज़) को पढ़ना चाहिए। साथ ही, इस्लामिक दुआ की कसरत से तिलावत कर अपने गुनाहों की माफी मांगनी चाहिए।

ramadan

इन लोगों को नहीं मिलेगी माफी

कुरान के अनुसार अल्लाह सबको माफ कर देगा लेकिन 4 लोग ऐसे हैं जिनकी बख़्शिश नहीं होती, लेकिन वो लोग कौन हैं? आइए जानते हैं।

  • शराब पीने वाला
  • कीना (नफरत) रखने वाला
  • मां-बाप की नाफरमानी करने वाला
  • रिश्तेदारों से लड़ने वाला

उम्मीद है कि आपको ये तमाम जानकारी समझ में आ गई होगी। अगर आपको कोई और दुआ पूछनी है, तो हमें नीचे कमेंट करके बताएं।

Note: इसे शेयर जरूर करें व इसी तरह के दीगर मज़ामीन पढ़ने के लिए आपकी अपनी वेबसाइट samachaarexpress.com के साथ जुड़े रहे।  शुक्रिया (MS Jamil)

Leave a Comment