Islam में गुनाहों की माफ़ी और तौबा…

गुनाहों की माफ़ी और तौबा: Islam खूबसूरत मज़हब है, अल्लाह हम सबको माफ करे। अमीन… हम पढ़ते और सुनते हैं कि Islam मज़हब मे सदक़ा करने से गुनाह माफ़ हो जाते हैं वज़ू करने से गुनाह माफ़ हो जाते हैं हदीस में है कि जिस ने रमज़ान के रोज़े ईमान और सवाब की उम्मीद के साथ रखे उस के गुनाह माफ़ हो जाते हैं कुरान में हैं कि नेकियां गुनाहों को खत्म कर देती हैं वग़ैरह…

क्या आप ने सोचा कि कौन से गुनाह माफ़ होते हैं ? एक इंसान दिन भर दुकान में कम नाप तौल रहा है और शाम को दस बीस लोगों को अफतारी करा देता है तो क्या इस से उस का कम नापना व तौलना माफ़ हो जाएगा?

नहीं , नेकी करने से वह छोटे गुनाह माफ़ होते हैं जो आदमी उठते बैठते करता रहता है जिसे गुनाहे सगीरा कहते हैं

लेकिन जो बड़े गुनाह हैं जैसे शिर्क करना शराब पीना, जुआ खेलना, ज़िना करना, कम नापना तौलना बेइमानी करना वग़ैरह… इस की माफ़ी के लिए Islam मज़हब मे तौबा करना ज़रूरी है  यह नेकी करने से माफ़ नहीं होते हैं.

Islam में तौबा कैसे की जाती है

Islam में सलात अल तौबा अल्लाह से माफ़ी मांगने का एक तरीका है। जब भी कोई इंसान अपने गुनाहों से तौबा करना चाहता है और अल्लाह की ओर मुड़ना चाहता है तो वह माफ़ी के लिए सलात अल तौबा की नमाज़ अदा कर सकता है। चाहे तौबा गुनाह करने के तुरंत बाद हो या बाद में, इंसान को तौबा करने में जल्दबाजी करनी चाहिए और अल्लाह उसे माफ कर देगा।

Islam में तौबा करने का भी एक तरीका है उस में चार चीजें जरूरी हैं

1- जो गुनाह का काम वह कर रहा है उसे छोड़ दे

2- उस गुनाह के करने पर शर्मिन्दा हो

3- इस बात का पक्का इरादा हो कि आइंदा पूरी कोशिश रहेगी कि ऐसे गुनाह दोबारा न हों

4- अल्लाह से अपने गुनाह की माफ़ी तलब करे

— और अगर उस गुनाह का संबंध किसी इंसान से है जैसे किसी को नाहक हक़ मार दिया या उसके सामान की चोरी कर ली, या उसकी जमीन पर कब्जा कर लिया , या उस पर झूठी तोहमत लगाई वग़ैरह…

ऐसे गुनाह की तौबा करने के लिए उस इंसान को राज़ी करना भी ज़रूरी है चाहे वह माफ़ी से राज़ी हो या मुआवजा ले कर राज़ी हो या किसी और जायज़ तरीक़ा से , उसे राज़ी किए बगैर तौबा पूरी नहीं होगी.

और जब अल्लाह ने वादा किया है तो वह वादे के खि़लाफ नहीं करेगा। इस आयत में अल्लाह तआला ने हमारे लिए यह स्पष्ट कर दिया है कि वह तौबा करने वालों के गुनाहों (बुराईयों) को नेकियों में परिवर्तित कर देता है और यह तौबा की फज़ीलतों में से है।

 

2 thoughts on “Islam में गुनाहों की माफ़ी और तौबा…”

Leave a Comment

Exit mobile version