अंतरराष्ट्रीय मीडिया में मुसलमानों के बारे में PM मोदी का झूठा बयान सुर्ख़ियों में….

भारत में लोकसभा चुनाव में पहले चरण और दूसरे चरण का मतदान संपन्न हो चुका है, दूसरे चरण के लिए शुक्रवार को वोट डाले गए और इसके बाद के चरणों में होने वाले मतदान के लिए चुनाव प्रचार ज़ोरों पर है.

Lok Sabha Election 2024: पहले चरण के मतदान के बाद PM मोदी का दिया एक भाषण विशेष रूप से चर्चा का विषय बना हुआ. भारतीय मीडिया के साथ-साथ अंतरराष्ट्रीय मीडिया ने भी इसे अपने पन्नों पर जगह दी है.

सत्ताधारी बीजेपी लगातार तीसरी बार सत्ता में आने के लिए अपना पूरा दमख़म लगा रही है, तो वहीं कांग्रेस भी एड़ी-चोटी का ज़ोर लगाए हुए है. ऐसे में नेताओं के भाषण, उनके दावे और दूसरी पार्टी के नेताओं को लेकर दिए बयान रोज़ अख़बारों की सुर्खियां बन रहे हैं.

इस्तेमाल किए गए कुछ ख़ास शब्दों के कारण ये भाषण चुनाव आयोग में PM मोदी की शिकायत का कारण भी बना है. कांग्रेस नेताओं ने इसे लेकर चुनाव आयोग में शिकायत दर्ज कराई है और कहा है कि PM मोदी देश में नफ़रत के बीज बो रहे हैं.

कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने कहा, “हमने जनप्रतिनिधि क़ानून, सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसलों और चुनाव आचार संहिता के उल्लंघन वाली 16 शिकायतें चुनाव आयोग को सौंपी है.”

पंजाब में बीजेपी की सहयोगी रही शिरोमणि अकाली दल के प्रमुख सुखबीर सिंह बादल ने भी इसकी आलोचना की है. उन्होंने कहा, “प्रधानमंत्री और भाजपा को सरदार प्रकाश सिंह बादल से सीखना चाहिए कि कैसे शांति और सांप्रदायिक समन्वय सुनिश्चित हो.”

PM मोदी ने क्या कहा था?

19 अप्रैल को पहले चरण की वोटिंग ख़त्म हुई. इसके बाद 21 अप्रैल को राजस्थान के बांसवाड़ा में चुनावी रैली में दिए एक भाषण में बीजेपी नेता और PM मोदी ने पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के एक पुराने भाषण का हवाला दिया और मुसलमानों पर टिप्पणी की. PM मोदी ने अपने भाषण में समुदाय विशेष के लिए घुसपैठिएऔर ज़्यादा बच्चे पैदा करने वाला जैसी बातें कहीं.

अपने भाषण में मोदी ने कहा, पहले जब उनकी सरकार थी तब उन्होंने कहा था कि देश की संपत्ति पर पहला अधिकार मुसलमानों का है, इसका मतलब ये संपत्ति इकट्ठा करके किसको बांटेंगे- जिनके ज़्यादा बच्चे हैं उनको बांटेंगे, घुसपैठियों को बांटेंगे. क्या आपकी मेहनत का पैसा घुसपैठियों को दिया जाएगा? आपको मंज़ूर है ?”

मोदी ने कहा, ये कांग्रेस का मैनिफेस्टो कह रहा है कि वो मां-बहनों के सोने का हिसाब करेंगे, उसकी जानकारी लेंगे और फिर उसे बांट देंगे और उनको बांटेंगे जिनको मनमोहन सिंह की सरकार ने कहा था कि संपत्ति पर पहला अधिकार मुसलमानों का है. भाइयों बहनों ये अर्बन नक्सल की सोच, मेरी मां-बहनों ये आपका मंगलसूत्र भी बचने नहीं देंगे”

हालांकि PM मोदी ने मनमोहन सिंह के जिस 18 साल पुराने भाषण का ज़िक्र किया है, उसमें मनमोहन सिंह ने मुसलमानों को पहला हक़ देने की बात नहीं कही थी.

मनमोहन सिंह ने साल 2006 में कहा था, अनुसूचित जातियों और जनजातियों को पुनर्जीवित करने की ज़रूरत है. हमें नई योजनाएं लाकर ये सुनिश्चित करना होगा कि अल्पसंख्यकों का और ख़ासकर मुसलमानों का भी उत्थान हो सके, विकास का फायदा मिल सके. इन सभी का संसाधनों पर पहला दावा होना चाहिए.”

मनमोहन सिंह ने अंग्रेज़ी में दिए गए भाषण में ‘ claim ‘ शब्द का इस्तेमाल किया था.

अंतरराष्ट्रीय मीडिया ने क्या कहा?

अमेरिकी अख़बार ‘Washington Post’ ने 22 अप्रैल को इसे लेकर ‘PM मोदी पर चुनावी रैली में मुसलमानों के ख़िलाफ़ नफ़रती भाषण देने का आरोप’ शीर्षक से रिपोर्ट अपनी वेबसाइट पर छापी.

वेबसाइट ने PM मोदी के भाषण को जगह दी और उस पर कांग्रेस की प्रतिक्रिया को भी अपनी रिपोर्ट में लिखा. ‘Washington Post’ ने लिखा कि कांग्रेस नेता अभिषेक मनु सिंघवी ने सोमवार को कहा कि पार्टी ने इसे लेकर सोमवार 22 अप्रैल को चुनाव आयोग में शिकायत दर्ज कराई है.

Washington Post’ ने लिखा है कि बांसवाड़ा में दिए भाषण के बाद 22 अप्रैल को उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ में PM मोदी ने इसी तरह का एक और भाषण दिया.

इस रिपोर्ट में भारत के नागरिकता क़ानून का भी ज़िक्र किया गया है. लिखा गया है कि इस क़ानून को लागू करने को लेकर देश में विवाद भी हुआ था. इस क़ानून की ये कह कर आलोचना की गई कि इसमें धर्म के आधार पर नागरिकता देने की बात की गई है जो देश की धर्मनिरपेक्षता के मूलभूत सिद्धांतों से अलग है.

चीनी न्यूज़ वेबसाइट South China Morning Post’ ने लिखा कि चुनावों में बढ़त हासिल करने के लिए PM मोदी ने मुस्लिम विरोधी बयानबाज़ी शुरू की.

वेबसाइट ने लिखा कि बीजेपी की उम्मीद के अनुरूप प्रदर्शन न होने के दावों के बीच PM मोदी एक बार फिर चुनावी रैलियों में धर्म का इस्तेमाल कर रहे हैं और उन्होंने भारत के मुसलमानों पर बयानबाज़ी तेज़ कर दी है. उनके बयानों से चुनाव के मानकों यानी आचार संहिता के उल्लंघन होने की चिंता जताई जा रही है.

‘South China Morning Post’ ने दिल्ली की जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी में एसोशिएट प्रोफ़ेसर अजय गुडावर्ती के हवाले से लिखा है, लोग अब ऊब चुके हैं, हिंदू-मुसलमान का मुद्दा अब ज़मीन पर ज़्यादा असर नहीं दिखा रहा है.”

राजनीतिक विश्लेषक अपूर्वानंद के हवाले से वेबसाइट ने लिखा है कि “मुसलमानों के ख़िलाफ़ सांप्रदायिक नफ़रती भावनाओं को भड़काने के मामले में मोदी आदतन दोषी हैं.”

वो कहते हैं कि “चुनाव प्रचार की शुरुआत से ही वो मुसलमान विरोधी बयान दे रहे हैं, लेकिन मीडिया अब तक इसे दिखा नहीं रहा था.”

उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि यूपी में एक भाषण में उन्होंने कहा था कि मुसलमानों के कारण हिंदुओं को घर छोड़ना पड़ रहा है, कांग्रेस के मेनिफेस्टो को लेकर उन्होंने कहा था कि “इसका हर पन्ना देश के टुकड़े-टुकड़े करने” की बात करता है.

Time magazine ने भी इस ख़बर को जगह दी है. पत्रिका ने लिखा है कि भारत की आबादी 1.44 अरब है और PM मोदी की बीजेपी की आलोचना मुसलमान समुदाय को बाहर से आए विदेशियों के रूप में देखने के लिए होती रही है, इनमें पड़ोसी बांग्लादेश और म्यांमार से आए मुसलमान शामिल हैं.

आलोचक कहते हैं कि मोदी की टिप्पणी का आधार विभाजनकारी हिंदू राष्ट्रवाद है जिसके तार सत्ताधारी बीजेपी से जुड़े हैं. पत्रिका ने लिखा है पार्टी तीसरी बार सरकार बनाने का दावा कर रही है.

पत्रिका ने अमेरिका में मुसलमानों के अधिकारों के लिए काम करने वाले समूह ‘Council on American Islamic Relations ‘ (CAIR) के एक बयान को अपनी रिपोर्ट में जगह दी है जिसमें PM मोदी के भाषण की आलोचना की गई है.

CAIR ने अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन से गुज़ारिश की है कि मुसलमानों और अल्पसंख्यक समूहों के साथ सुनियोजित तरीके से हो रहे व्यवहार के लिए भारत को Country of Particular Concern यानी ‘चिंताजनक देशों की सूची’ में शामिल किया जाए.

पत्रिका ने लिखा है कि साल 2002 में हुए गुजरात दंगों के दौरान PM मोदी की सरकार प्रदेश में थी. बाद में 2005 में अमेरिका ने उनके देश में एंट्री लेने पर रोक लगा दी थी.

पत्रिका ने वॉशिंगटन में मौजूद रिसर्च ग्रुप ‘India Hate Lab’ के आंकड़े भी अपनी रिपोर्ट में दिए हैं. ये ग्रुप भारत के धार्मिक अल्पसंख्यकों के ख़िलाफ़ हुए नफ़रती भाषण का लेखा-जोखा रखता है.

इस रिपोर्ट के अनुसार, साल 2023 में देश में इस तरह के 668 मामले दर्ज किए गए थे, इनमें से 255 मामले 2023 के पहले छह महीनों में सामने आए थे. साल के अगले छह महीनों में इस तरह के 413 मामले सामने आए जो पहले के छह महीनों के मुक़ाबले 63 फ़ीसदी अधिक था.

‘New York Times’ ने इस पर 23 अप्रैल को रिपोर्ट छापी है. वेबसाइट ने जिस शीर्षक के साथ रिपोर्ट छापी वो है- PM मोदी ने भारत के मुसलमानों को घुसपैठियाक्यों कहा? क्योंकि वो ऐसा कर सकते थे.

New York Times ने लिखा है कि अपनी सत्ता को सुरक्षित मानकर PM मोदी आर्थिक और कूटनीतिक स्तर पर देश के विकास को लेकर वैश्विक नेता के तौर पर खुद को पेश कर रहे थे. ऐसा करके वो पार्टी के प्रचलित विभाजनकारी रवैये से खुद को अलग रखे हुए थे.

इस तरह के मामलों में उनकी चुप्पी थी. इस बीच कट्टरपंथ सोच वाले समूह गै़र हिंदू समुदायों को निशाना बना रहे थे और उनकी अपनी पार्टी के सदस्य संसद में नस्लीय और नफ़रती शब्दों का इस्तेमाल कर रहे थे.

देश के भीतर वो लंबे समय तक ये सुनिश्चित कर सकते थे कि हो रही घटनाओं से वो दूरी बनाए रखें, साथ ही विदेश में भी अपनी साख बनाए रखें. लेकिन फिर रविवार शाम को उन्होंने एक चुनावी स्पीच देकर मुसलमानों को कथित तौर पर घुसपैठिएकहा जिनके अधिक बच्चे हैं. उनकी ये स्पीच बड़े विवाद का मुद्दा बन गई.

New York Times वेबसाइट लिखता है कि देश के भीतर नियामक संस्थाएं बीजेपी की इच्छा के अनुसार काम कर रही हैं और विदेश में भारत के सहयोगी PM मोदी को लेकर आंखें बंद किए हुए हैं क्योंकि चीन से निपटने के लिए वो भारत को अहम मान रहे हैं.

अमेरिका के Institute of Peace के दक्षिण एशिया कर्यक्रम के डेनियल मार्के कहते हैं, “PM मोदी लंबा अनुभव रखने वाले और मंझे हुए नेता हैं. अगर उन्हें इस बात का यकीन है कि वो बच नहीं सकेंगे तो वो इस तरह की टिप्पणी कभी नहीं करेंगे.”

हालांकि वो ये भी कहते हैं कि अमेरिकी राजनेताओं के मामले में मोदी की आलोचना का उलटा असर पड़ सकता है जो “अमेरिका में रहने वाले भारतीय समुदाय की नाराज़गी नहीं झेलना चाहेंगे.”

New York Times लिखता है कि 1925 में बने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का मिशन भारत को हिंदू राष्ट्र बनाना था. राजनीति में आने से पहले PM मोदी दशक भर तक इसी संघ का हिस्सा रहे थे. विभाजन के वक्त दो राष्ट्र बनने को लेकर भारत की सहमति को ये संगठन देशद्रोह मानता है.

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